Abhishek Rathore

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रहस्यमय हालात

तभी तान्या बोली, "तुम लोग मेरे मुंह की तरफ ऐसे क्यों देख रहे हो जैसे भूत देख लिया हो। मैंने गाड़ी इसलिए रुकवाई है कि वो देखो सामने चाय की टपरी है चलो चाय पीते है मौसम भी सुहाना है और उस पर गरमा गरम चाय…  मजा आ जायेगा।

"सब को तान्या की बात जंच गयी। वैसे भी वो लोग सुबह थोड़ा सा  नाश्ता कर के निकले थे घर से, और इस वक्त ग्यारह बज रहे थे भूख लगना स्वाभाविक था।

क्या वहाँ पर कुछ खाने का मिलेगा, कपाली ने उनसे पूछा..

हाँ चल कर देखते है, शिखर बोला,

चाय वाले को चार कप चाय बोल कर शिखर गाड़ी से जो मां और दोनों बहनों ने रास्ते का नाश्ता दिया था वो निकाल लाया। तरह तरह के नमकीन, पापड़,सेव,मठरी आदि थे।

कपाली को बहुत तेज भूख लगी थी उसने फटाक से शिखर के हाथ से थैला छीनते हुए कहा,"ला मोटे ! मुझे दे इसे देखूं मां ने क्या नाश्ता दिया है हम सब के लिए। "वह दांत दिखाते हुए फटाफट थैले मे हाथ मारने लगा। उसने सारे थैले जल्दी जल्दी खोल लिए और सबमे से थोड़ा थोड़ा खाने लगा था,

तभी सोहन बोला,"यार शिखर तू सच में नसीबवाला है जो तुझे इतनी अच्छी फैमिली मिली है जो तेरा इतना ख्याल रखते है और मेरे मम्मी पापा को तो ये भी पता नही होता कि मेरी जिंदगी मे क्या चल रहा है मै कहां जा रहा हूं क्या कर रहा हूं।

कल जब मैंने बताया कि मै राजस्थान घुमने जा रहा हूं तो पापा ने बस यही कहा जितने पैसे की जरूरत हो मम्मी से ले लेना मै बाहर जा रहा हूं।"

"सेम हियर।" तान्या भी सिर झटक कर बोली दोनों के चेहरे पर उदासी साफ नजर आ रही थी।

शिखर ने उनको समझाया.. और मौसम के बारे में बात करने लगा जिससे उनकी उदासी चली जाये और वो ये बात भूल जाये,.. शिखर जनता था उनके घर के हालात के बारे में,

तभी कपाली सभी का मूड लाइट करने के लिए अपनी सुरीली आवाज मे कुछ गुनगुनाने लगा, उसको बड़ा अच्छा गला दिया था भगवान ने। वह कितने ही यूथ फेस्टिवल मे ईनाम जीतकर कालेज का नाम रोशन कर चुका था।

इस समय जो कपाली गुनगुना रहा था शायद कोई लोकगीत था। पर वो राजस्थानी भाषा मे था उसका गाना जब खत्म हुआ तो शिखर ने अचरज से उससे पूछा ,"यार कपाली ये गीत तो बड़ा ही सुन्दर था और ये तो राजस्थानी भाषा मे था तुझे कब से आने लगी ये भाषा।"

कपाली बोला,"भाई वैसे तो हम भील जनजाति से है पर हमारे यहां एक आदमी रहता था राजस्थान का उसी ने ये भाषा सिखाईं है मुझे। पता नही क्या है इस गीत मे जब भी इसे गाता हूं मन भर आता है ऐसा लगता हे जैसे पिछले जन्म का कोई रिश्ता है मेरा इस गीत से।"

उन सभी ने कपाली की बात को ज्यादा सीरियस नहीं लिया था, क्योंकी अब वो उसके बात को ऐसे ही सुनकर टाल देते थे, उनको पता था कपाली का ये सब डेली का नाटक है, दृश्य दिखना पुराना जन्म और इस पर बात करना.. ये सब

सभी ने चाय नाश्ता खत्म करके गाड़ी का रुख किया। अब गाड़ी तान्या चला रही थी। धीरे धीरे ठेठ राजस्थान आंखों के आगे आने लगा । बड़े बड़े पहाड़, वाला रोड आगे बढ़ता जा रहा था, वहां के बड़े बड़े किले हवेलियां अपना इतिहास समेटे हुए किसी बटोही की प्रतीक्षा कर रहे थे जैसे सालों से इंतजार कर रही हो कि कोई आये और वे उन्हें बताएं कि उनके साथ क्या घटित हुआ।

हर रास्ते कूचे पर राजस्थानी लोकगीत की धुने सुनाई दे रही थी

"केसरिया बालम आवो नी

पधारो म्हारे री देस।

चारों का मन प्रफुल्लित हो गया। बरसात होने के कारण माटी की सोंधी सोंधी महक चारों ओर फैली हुई थी। ऐसे लग रहा था जैसे ये हवेलियों और किलों के खंडहर उन्हें अपनी ओर खींच रहें थे। चौपालों पर पगड़िया पहने बैठे लोग, सिर पर मटका रख कर पानी भरने कोसों दूर जाती रमणियां। मटके में मसाले बेचते लोग, यह सब देख कर उनका मन प्रफुल्लित हों रहा था

इतने मे गाड़ी चचररर की आवाज से बंद हो गयी। सोहन ने जल्दी तान्या को देखा, सोहन तान्या से बोला, "क्या हुआ गाड़ी क्यों रोक दी।"

तान्या बोली, "तुम्हारा दिमाग खराब है मै क्यों रोकूंगी गाड़ी.. ये तो चलते चलते अपने आप बंद हो गयी है, और अब स्टार्ट भी नहीं हों रही है,

चारों गाड़ी से उतरे, कपाली ने गाड़ी का बोनट खोल कर चेक किया गाड़ी मे तेल पानी सब बराबर था लेकिन बंद क्यों हो गयी ये पता नही चल सका। वो एक एक चीज को अच्छे से चेक कर रहें थे,

गाड़ी एक तिराहे पर खड़ी थी एक रास्ता हाईवे की तरफ जा रहा था एक गांव की ओर, और एक जंगल की ओर। तभी वहां से एक स्थानीय निवासी गुजरा ।

शिखर उनके पास पोहचा और उसने उस से पूछा ,"चचा ये कौनसा गांव है?"

वो गांव वाला शिखर और उनके साथियों को ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोला, "बाबू थेह कठै जा रहिया हो।"

शिखर ने कहा, "हम तो यहां राजस्थान में घूमने आये हैं, ये नहीं हैं के हमको किसी एक ही जगह जाना हैं हम बस यहाँ के किले और हवेलियां देखने आये है।"

तब वो गांव वाला बोला, "थेह फेर सही जगह आ ग्या हो। अठै ताहरै को बोहत बढ़िया हवेलियां और महल मिल जा सी एक तो अठै जंगल मह जांवता (जाते) ही मिल जा सी। रानी नागमति को महल है। किसी समय बड़ा शानदार महल होया करतो यो अब तो खंडहर हो गया है।"

जब शिखर उससे बात कर रहा था तो कपाली भी मुस्कुराते हुए उन लोगों के पास आया और बोला, "अब ये भी बता दो कि यहां आस पास कोई मकैनिक मिलेगा या नही।"

वो गांव वाला बोला, "बाबू इस पासे यो गांव रो रासतो जा रहियो है वठै मिल जा सी यो मकैनिक।"

कपाली और शिखर दोनों गाड़ी से अपना मोबाइल उठाने गये ओर जैसे ही मुड़ कर देखा वो गांव वाला गायब था दोनो ही अचरज से भर गये कि इतनी जल्दी वो कहां गायब हो गया। शिखर ने रोड से नीचे देखा, वहाँ बस गहरी खाई थीं, मतलब यां तो वो खाई में कूड़ा था यां फिर वो आदर्श हुआ था, शिखर सोच में पर गया..

कपाली ने उससे कहा, चलो आओ चलते हैं, शिखर उसके पीछे चल दिया लेकिन उसके नज़र अभी भी आस पास ही देख रही थीं

वह दोनों तान्या और सोहन को गाड़ी मे बैठने को कह कर गांव की ओर चल दिए। थोड़ी सी दूरी पर जाने पर ही मकैनिक की दुकान मिल गयी। उन्होंने ने जाकर उसे साथ लिया और वापस गाड़ी के पास आ गये। रास्ते मे शिखर ने मकैनिक से पूछा कि यह कौन सा गांव है

तब वह बोला,"साहब इस गांव का नाम "अतीफा"है। बड़ा ही पुराना गांव है। मै तो अभी आया हूं यहां पर । ये मेरा नानका है। मेरे नाना जी के दादा परदादा कोई दो सौ सालों से यही बसे है। मेरे नाना को उनके दादा बताते थे कि यह गांव कभी छोटी सी रियासत होती थी पर ज्यादा कुछ इसके विषय मे कोई भी नही जानता।

क्या यहाँ कोई पास में महल है? शिखर ने उससे पूछा,

नहीं साहब महल तो नहीं.. हाँ महल का खंडर हैं वहाँ, उसने इशारा कर के बताया,

क्या वो देखने लायक हैं, कपाली ने उससे पूछा,

जी हाँ साहब.. यहां पर एक रानी नागमति के महल का खंडहर है वो देखने लायक है।" यू ही बात करते करते वे लोग गाड़ी तक पहुंच गये। मकैनिक ने गाड़ी को चेक किया । दस पन्द्रह मिनट में गाड़ी ठीक हो गयी । शायद क्लच की तार हिल गयी थी।

सोहन ने मकैनिक को पैसे दिए और सब गाड़ी मे बैठ गये। तभी इतनी देर से चुप बैठी तान्या बोली,"अरे यार वो बुजुर्ग आदमी क्या कह रहा था कि यहां कोई महल का खंडहर है देखने लायक  ?"

शिखर भी हां मे हां मिलाते हुए बोला, "हां वो मकैनिक भी यही कह रहा था ओह्ह हाँ…..,. क्या नाम था उस रानी का हां रानी नागमति । चलो चलते है।अब यहां रुक ही गये है तो लगे हाथों उस महल के खंडहर को भी एक्सप्लोर कर लेते है।"

इधर कपाली भी बोला ,"चलों यही से शुरूआत करते है क्या पता शिखर जो चाहता है वो काम यही बन जाए।

अब तीन लोग सहमत थे तो बेचारे सोहन से कौन पूछता कि तुम्हें चलना है या नही। अब की बार गाड़ी शिखर चला रहा था। शिखर ने गाड़ी का रूख़ जंगल की ओर कर दिया। गाड़ी सरपट दौड़ रही थी जंगल मे थोड़ा अंदर जाते ही उन्हें दूर से ही एक महल नुमा खंडहर दिखाई दे रहा था..

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6 Comments

Anjali korde

10-Aug-2023 09:47 AM

अद्भुत

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Babita patel

04-Aug-2023 05:50 PM

Nice

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